
साल बदलता है तो कैलेंडर भी बदल जाता है। इस बार हम आपके लिए लाए हैं बिलकुल जुदा कैलेंडर। यह है हेल्थ कैलेंडर, जो आपको गाइड करेगा कि मौसम के लिहाज से हमें किस महीने में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। एक्सपर्ट्स की मदद से प्रियंका सिंह ने तैयार किया है यह हेल्थ कैलेंडर :
आयुर्वेद बताता है कि आदर्श दिनचर्या क्या हो ताकि हम स्वस्थ रहें। मौसम के अनुसार खानपान और दिनचर्या को आयुर्वेद में ऋतुचर्या कहा जाता है। ऋतु मतलब मौसम और चर्या मतलब आहार-विहार। इसमें अलग-अलग ऋतु में शरीर के तीनों दोषों वात (वायु), पित्त (अग्नि) और कफ (जल) को संतुलित किया जाता है।
छह ऋतुओं के नाम
1. वसंत ऋतु (Spring) चैत्र-वैशाख (March – April)
2. ग्रीष्म ऋतु (Summer) ज्येष्ठ-आषाढ़ (May – June)
3. वर्षा ऋतु (Monsoon) श्रावण-भाद्रप (July – August)
4. शरद ऋतु (Autumn) अश्विन-कार्तिक (September – October)
5. हेमंत ऋतु (Winter) अगहन-पौष (November -December)
6. शिशिर ऋतु (Cold) माघ-फाल्गुन (January – February)
क्या हैं कफ, पित्त और वात दोष?
हमारा शरीर पंच महाभूतों (वायु, आकाश, अग्नि, जल और पृथ्वी) से बना है। इन्हीं पंचभूतों में बनते हैं कफ, पित्त और वात। ये शरीर में कम या ज्यादा हो सकते हैं। उसे दोष कहते हैं। कोई भी दोष किन्हीं 2 महाभूतों के मेल से बनता है जैसे कि जल और पृथ्वी से कफ, अग्नि और जल से पित्त एवं वायु और आकाश के मेल से वात बनता है। कफ शरीर के पोषण, पित्त मेटाबॉलिज़म और वात मूवमेंट के लिए जिम्मेदार होता है। हर किसी के शरीर में ये तीनों दोष होते हैं लेकिन कोई एक या दो दोष ज्यादा होते हैं और बाकी दो या तीसरा कम होता है। जो तत्व ज्यादा है, उसी के आधार पर माना जाता है कि उस शरीर की प्रवृत्ति कफ, पित्त या वायु प्रधान है। जब तीनों दोषों में बैलेंस रहता है तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है लेकिन अगर कोई दोष बढ़ जाए तो बीमारी की वजह बन जाता है। अपने शरीर की प्रकृति के अनुसार आहार और आचार करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ती है और बीमार पड़ने की आशंका कम हो जाती है।
अच्छा खाना, खराब खाना
ज्यादातर ऋतुओं में फायदेमंद भोजन – मूंग, सेंधा नमक, मछली, गाय का घी, गाय का दूध, तिल का तेल, सौंठ, मुनक्का
ज्यादातर ऋतुओं में नुकसानदेह भोजन – उड़द, आलू
दही का सेवन करें
शिशिर, हेमंत और वर्षा ऋतु में
दही का सेवन न करें
वसंत, शरद, ग्रीष्म ऋतु में
6 तरह के आहार
1. मधुर (मीठा) आहार: गेहूं, पका आम, खजूर, गुड़, केला, अंजीर, गाजर, चावल, बादाम, घी, दूध, दालचीनी आदि
2. अम्ल (खट्टा) आहार: नीबू, नारंगी, इमली, कच्चा आम, टमाटर, ब्रेड, चीज़, योगर्ट, खमीर वाली सभी चीजें आदि
3. लवण (नमकीन) आहार: सेंधा नमक, टूना मछली, सेलरी
4. कटु (कड़वा) आहार: लहसुन, काली मिर्च, सौंठ, प्याज़, मूली, शलगम, सरसों बीज, लौंग, हींग आदि
5.तिक्त (तीखा) आहार: करेला, नीम, मेथी, बैंगन, कॉफी, डार्क चॉकलेट, केसर, हल्दी
6.कषाय (कसैला) आहार: कत्था, जामुन, सहजन की फली, सेब, अनार, ब्रोकली, स्प्राउट्स, पत्तागोभी, फूलगोभी, धनिया, राई, ऑरिगैनो, पॉपकॉर्न
दिसंबर-जनवरी
(पौष: 23 दिसंबर से 21 जनवरी)
असर: कफ दोष बढ़ना, पित्त दोष कम होना
क्या करें?
1- गर्म और पोषक खाना खाएं जैसे कि लौकी का गर्म सूप, खूब सारी सब्जियां डालकर बनाई गई गर्मागर्म खिचड़ी आदि।
2- अपने खाने में मीठा, खट्टा और नमकीन ज्यादा रखें। ये चीजें वात को बैलेंस करती हैं।
3- तिल, दही, गुड़ और चिकनाई वाली चीजें खाना फायदेमंद है।
4- खाने में गर्म तासीर के मसाले जैसे कि अदरक, लहसुन, पिपली आदि को शामिल करें।
5- दूध और दूध से बनी चीजें और गन्ना खाएं क्योंकि ये मीठे के कुदरती स्रोत हैं।
6- तिल के तेल से मसाज करना अच्छा है।
7- गुनगुने पानी से स्नान करें।
8- रोजाना 30-45 मिनट धूप में बैठें।
क्या न करें?
1- बहुत ज्यादा चलने, ठंडी हवाओं की चपेट में आने और बहुत देर रात तक जागने से बचें वरना शरीर में वात ज्यादा बढ़ सकता है।
2- शीतल भोजन जैसे कि पॉपकॉर्न, जौ, खस आदि से परहेज करें।
3- दिन में न सोएं।
जनवरी-फरवरी
(माघ: 22 जनवरी से 19 फरवरी) असर: कफ दोष का बढ़ना
क्या करें
1- गर्म, हल्की और सूखी चीजों जैसे कि सरसों, शकरकंद, सूखे मेवे आदि को ज्यादा मात्रा में खाएं ताकि कफ बढ़े नहीं।
2- उबली, बेक या ग्रिल की गई चीजें जैसे कि ग्रिल्ड फिश या ग्रिल्ड वेजिटेबल ज्यादा खाएं।
3- काली मिर्च, पिपली जैसे तीखे मसाले लें ताकि पित्त कंट्रोल में रहे।
4- लौंग, जीरा और अदरक का काढ़ा बनाकर दिन भर बार-बार घूंट-घूंट पिएं, खासकर खाने के बाद। पाचन में मदद मिलती है।
5- गुड़, दूध और दूध से बनी चीजें, खट्टा और चिकनाई वाली चीजें ज्यादा खाएं।
6- गुनगुने पानी से नहाएं।
7- तिल के तेल से शरीर की मालिश करें।
8- रोजाना करीब 30 मिनट धूप का सेवन करें।
क्या न करें
1- ठंडी और भारी चीजें खाने से बचें। पाचन में दिक्कत हो सकती है।
2- पनीर और दही जैसी ठंडी तासीर वाली चीजों से दूरी बनाएं रखें।
3- चीनी, नमक और तीखे स्वाद (करेला, नीम, मेथी, बैंगन, कॉफी आदि ) कम खाएं। ये पानी को रोककर शरीर में भारीपन लाते हैं।
फरवरी-मार्च
(फाल्गुन: 20 फरवरी से 21 मार्च)
असर: कफ दोष का बढ़ना
क्या करें
1- पित्त को बैलेंस करने के लिए ताजा चीजों और साबुत अनाज को खाने में ज्यादा शामिल करें।
2- जिन चीज की तासीर ठंडी हो, जो सूखे हों और जिनमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट (बेकरी प्रॉडक्ट) ज्यादा हो, उन्हें ज्यादा खाएं।
3- खाने में सौंफ का इस्तेमाल ज्यादा करें क्योंकि यह पित्त को बैलेंस करती है।
क्या न करें
1- ठंडे पानी से नहाने से बचें।
2- गर्म और तीखे मसालों (काली मिर्च, दालचीनी) से परहेज करें।
3- धूप में बहुत ज्यादा जाने से बचें। इससे पित्त बढ़ता है।
4- चाय-कॉफी का ज्यादा इस्तेमाल पित्त की समस्या बढ़ा सकता है। दिन में 1-2 कप काफी है।
5- दिन में न सोएं ।
6- कड़वे (लहसुन, काली मिर्च, सौंठ, प्याज़ आदि) और कसैले पदार्थ (जामुन, सेब, अनार, ब्रोकली, स्प्राउट्स आदि ) कम खाएं।
7- मालिश करें, लेकिन तेल की बजाय आयुर्वेदिक पाउडर से मालिश करना बेहतर है क्योंकि इससे शरीर ज्यादा देर तक गर्म रहता है।
मार्च-अप्रैल
(चैत्र: 22 मार्च से 19 अप्रैल)
असर: कफ का बढ़ना
क्या करें
1- भोजन ठंडी तासीर वाला और गर्मी को कम करने वाला हो।
2- पुराने अनाज और दालें जैसे कि जौ, गेहूं, मूंग, मसूर आदि इस्तेमाल करें।
3- छाछ, लस्सी, नीबू पानी और नारियल पानी को खुराक में बढ़ा दें। जितना मुमकिन हो, लें।
4- रोजाना एक चम्मच शहद ले सकते हैं।
5- आधा चम्मच सौंठ आधा गिलास पानी में उबालकर पिएं।
6- गुनगुने पानी से स्नान करें।
7- सुबह नारियल या किसी दूसरे तेल से शरीर की मसाज करें जो कसरत शरीर को मुफीद लगे, उसे जरूर करें।
क्या न करें
1- तली-भुनी और तीखे मसालेदार अचार आदि से परहेज करें क्योंकि इससे पित्त बढ़ सकता है।
2- ऐसी चीजें न खाएं जिन्हें पचाना मुश्किल हो जैसे कि उड़द, राजमा, चना आदि।
3- मीठी (चीनी, शहद आदि) या चिकनाई वाली चीजें (घी-तेल, पकौड़े आदि) कम खाएं।
अप्रैल-मई
(वैशाख: 20 अप्रैल से 18 मई)
असर: कफ का बढ़ना
क्या करें
1- खाने में ठंडी तासीर वाली चीजें (नारियल, केला आदि) ज्यादा रखें। रोजाना 1-2 आंवला जरूर खाएं।
2- आधा चम्मच सौंठ आधा गिलास पानी में अच्छी तरह उबालकर पीएं।
3- दिन में 8-10 गिलास पानी और दूसरी तरल चीजें जैसे कि नारियल पानी और ताजा जूस लें।
4- 30 मिनट हरी घास पर चलें। सुबह-सुबह ऐसा करना ज्यादा अच्छा है।
5- आवंला और चंदन का इस्तेमाल करें। चंदन से तन और मन को शीतलता मिलती है।
क्या न करें
1- धूप में ज्यादा देर न रहें क्योंकि इससे पित्त बढ़ सकता है।
2- हेवी प्रोटीन (रेड मीट) के बजाय हल्के ऑप्शन जैसे कि दालें (मूंग, मसूर आदि) खाएं।
3- बहुत ज्यादा नमक और मसालेवाली चीजों से परहेज करें।
4- दिन में न सोएं । बीमार या बुजुर्ग चाहें तो घंटे भर के लिए सो सकते हैं।
मई-जून
(ज्येष्ठ: 19 मई से 17 जून)
असर: वात का बढ़ना
क्या करें
1- तासीर में ठंडी और हल्की चीजें जैसे कि खीरा, ककड़ी, जई आदि शामिल करें ताकि आसानी से पच जाए।
2- केला, पाइनएपल, आड़ू और तरबूज ज्यादा खाएं क्योंकि ये गर्मी कम करते हैं।
3- ताजा सलाद और स्मूदी (दही में फल मिक्सी से मिक्स कर तैयार पेय) पीने से पित्त संतुलित होता है और गर्मी से भी राहत मिलती है।
4-नीबू पानी और नारियल पानी ज्यादा पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
5- सत्तू पीना भी फायदेमंद है।
6- माथे पर चंदन का लेप लगाने से तन शीतल रहता है।
7- मुमकिन हो तो रात में बाहर खुले में सोएं ।
क्या न करें
1- ज्यादा मसाले वाला खाना खाने से परहेज करें क्योंकि इससे शरीर में गर्मी बढ़ सकती है।
2- खमीर वाली चीजों से दूर रहें क्योंकि ये जल्दी खराब हो जाती हैं जिससे पित्त में इजाफा हो सकता है।
3- तली-भुनी और गर्म तासीर वाली चीजों से दूर रहें।
4- ज्यादा कसरत से बचें।
जून-जुलाई
(आषाढ़: 18 जून से 16 जुलाई)
असर: वात का बढ़ना
क्या करें?
1- पाचक अग्नि कम होती है इस समय। इस वजह से बेहतर है कि हल्की और आसानी से पचने वाली चीजें खाएं जैसे कि चावल आदि।
2- तासीर में ठंडी चीजों जैसे कि खीरा, नारियल, केला आदि को ज्यादा शामिल करें।
3- तरबूज, खरबूज, कीवी, केला, आड़ू और पपीता जैसे फल ज्यादा खाएं।
क्या न करें?
1- खट्टे (नीबू, संतरा), नमकीन या कड़वे (लहसुन, सौंठ, प्याज़, मूली आदि) खाने का सेवन न करें।
2- हेवी मिल्क प्रॉडक्ट जैसे कि चीज़ आदि से परहेज करें क्योंकि इनसे पित्त बढ़ता है।
3- काजू और बादाम जैसे सूखे मेवे कम-से-कम खाएं।
4- खाने में मसालों का इस्तेमाल ज्यादा न करें।
5- खाने में मसालों का इस्तेमाल ज्यादा न करें।
6- ज्यादा व्यायाम न करें क्योंकि ज्यादा पसीना बहने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
जुलाई-अगस्त
(श्रावण: 17 जुलाई से 15 अगस्त)
असर: वात दोष का प्रकोप
क्या करें?
1- ऐसी चीजें खाएं जो आसानी से पच सकें और एनर्जी लेवल को बनाए रखें जैसे कि घीया, ओट्स आदि।
2- खाने में पुराना चावल और गेहूं शामिल करें। पुराने अनाज को पचाना आसान है।
3- खाने में सूप ज्यादा-से-ज्यादा शामिल करें जैसे कि क्लियर वेजिटेबल सूप और दाल सूप।
4- सलाद, स्मूदी या सब्जियों में डालकर सीताफल और सूरजमुखी के बीज खाएं। ये एनर्जी लेवल बढ़ाते हैं, जोकि गर्मियों में आमतौर पर कम ही होती है।
5- पानी को उबालकर ठंडा करने के बाद पिएं।
6- गुनगुने पानी से स्नान करें।
7- हल्की एक्सरसाइज करें।
क्या न करें
1- कसैली चीजें जैसे कि अखरोट, जौ और सूखी चीजें कम खाएं।
2- बैंगन, टमाटर और रेड मीट जैसी चीजें कम खाएं।
3- चाय-कॉफी ज्यादा न पिएं। दिन में 1-2 कप काफी है।
4- घंटों धूप में रहने से बचें।
5- दिन में सोना भी ठीक नहीं।
अगस्त-सितंबर
(भाद्रपद: 16 अगस्त से 14 सितंबर)
असर: वात दोष का प्रकोप
क्या करें
1- घी-तेल वाले गर्म भोजन का सेवन करें।
2- सेब खाएं क्योंकि ये शरीर को ठंडा और नम रखने में मदद करते हैं।
3- मीठी और कड़वी (सौंठ, काली मिर्च, लहसुन आदि) चीजों को खाने में ज्यादा शामिल करें।
4- खाने में मूलदार (जड़ वाली) सब्जियों जैसे कि प्याज, चुकंदर आदि और देसी अनाज ज्यादा खाएं ताकि एनर्जी बनी रहे।
5- ऐसा चीजें खाएं जो पचने में हल्की हों।
क्या न करें?
1- ऐसी चीजें (राजमा, चना आदि) न खाएं जिन्हें पचाना आसान न हो क्योंकि ऐसा करने से गैस और अफारे की शिकायत हो सकती है।
2- ठंडी, सूखी और तीखे टेस्ट वाली चीजों से परहेज रखें क्योंकि इनसे पित्त बढ़ता है।
3- कसैली चीजें जैसे कि अनार, स्प्राउट्स, जामुन, कत्था आदि से परहेज करना बेहतर है क्योंकि ये गर्म होते हैं।
4- धूप में देर तक न रहें।
5- दिन में न सोएं।
सितंबर-अक्टूबर
(आश्विन: 15 सितंबर से 13 अक्टूबर)
असर: पित्त दोष का प्रकोप
क्या करें
1- अच्छी तरह पका हुआ गर्म खाना खाएं।
2- मीठी और तीखी चीजें खाएं।
3- थोड़ा घी डालकर सब्जियों का सूप बनाएं। सलाद के बजाय गुनगुना सूप पिएं।
4- जौ, गेहूं, मूंग, दूध को खाने में शामिल करें।
5- दालचीनी, काली मिर्च जैसे मसाले थोड़ी मात्रा में जरूर लें क्योंकि ये खाना पचाने में मदद करते हैं।
6- मुमकिन हो तो रात में बाहर सोएं।
7- माथे पर चंदन का लेप लगाएं।
क्या न करें?
1- कैफीन (चाय, कॉफी) से दूर रहें क्योंकि इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
2- ऐसी चीजें न खाएं, जिनसे पित्त बढ़ता है।
3- दही न खाएं।
4- दिन में न सोएं और रात में देर तक न जागें।
अक्टूबर-नवंबर
(कार्तिक: 14 अक्टूबर से 12 नवंबर)
असर: पित्त दोष का प्रकोप
क्या करें
1- नारियल तेल, देसी घी जैसे हेल्दी तेलों को खाने में शामिल करें क्योंकि ये पेट साफ रखने में मदद करते हैं।
2- अखरोट (रोजाना 1-2) को खाने में शामिल करें क्योंकि ये पेट को गर्मी पहुंचाते हैं और रात में अच्छी नींद लाते हैं।
3- पोषक और मीठी चीजों को खाने में शामिल करें ताकि शरीर गर्म रहे और पोषण भी मिले।
क्या न करें?
1- शरीर को ठंडा और सूखा न रखें। पानी की कमी भी न होने दें क्योंकि ऐसा करने से मीठे की तलब ज्यादा लगने लगती है।
2- तीनों वक्त में किसी भी वक्त खाना छोड़े नहीं, खासकर ब्रेकफस्ट जरूर नियमित तौर पर लें।
3- ज्यादा खट्टी और एसिड बनाने वाली चीजें न खाएं।
4- मसालेदार और रेडिमेड खाना जो खट्टा और नमकीन होता, वह न खाए ।
5- दिन में सोने और रात में देर तक जगने से बचें।
नवंबर-दिसंबर
(मार्गशीर्ष: 13 नवंबर से 12 दिसंबर)
असर: कफ दोष बढ़ना, पित्त दोष कम होना
क्या करें-
1- तिल, उड़द, दही, गुड़ और चिकनाई युक्त खाना खाएं।
2- अश्वगंधा और शतावरी इस्तेमाल करें ताकि वात कंट्रोल में रहे।
3- अदरक, इलायची आदि डालकर हर्बल चाय पिएं।
4- खाने में मीठा, तीखा और नमकीन शामिल करें। इससे ठंडी और सूखी हवाओं के बीच शरीर में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है।
5- तिल के तेल से मालिश करना फायदेमंद है।
6- रोजाना करीब आधा घंटा धूप का सेवन करें।
क्या न करें
1- ठंडा पानी न पिएं।
2- सत्तू और वायु बढ़ाने वाली चीजें न खाएं।
3- दूध और दूध से बनी चीजें कम खाएं।
4- बहुत ज्यादा तीखी (करेला, नीम, बैंगन आदि) और कसैली चीजें (अनार, स्प्राउट्स आदि) न खाएं।